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Post #002 Time Management

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TIME
MANAGEMENT
A DIFFERENT APPROACH

 Time management is Life management

दुनिया का सबसे अच्छा GIFT “ आपका वक़्त “ है  क्यूँकी जब आप किसी को अपना वक़्त देते हैं तो आप उसे अपनी ज़िंदगी का वो अनमोल पल , वो हिस्सा  भी दे  देते हैं जो आपके पास कभी लौट के नहीं आयेगा |

हमारी सबसे बड़ी भूल ये ये होती है जब  हम ये सोचने लगते हैं कि हमारे पास काफी समय है। समय देते वक़्त Nature हमें ये  मुफ़्त में देती है इसका कोई चार्ज नहीं लेती  है लेकिन हम जानते है कि ये अमूल्य है प्रेशियस है। हम इसके मालिक नहीं बन सकते,  इसे जमा नहीं कर सकते और न ही इसे अपने पास बचा के रख सकते हैं। एक बार खो जाने के बाद यह कभी वापस भी नहीं आ सकता। हम पैसा कितना भी कमा  सकते हैं लेकिन समय नहीं खरीद सकते । ये  ना कभी किसी के लिए रुका है और ना ही किसी के लिए वापस आता है |

कितना भी पकड़ लो फिसलता ज़रूर है,    ये वक़्त है साहब बदलता ज़रूर है |

एक दिन में हर किसी के लिए 24 घंटे, 1440 मिनट, 86400 सेकंड होते हैं। चाहे वो अरबपति के लिए  हो या गरीब के लिए , यह वैल्यू फिक्स  है। अमेरिका के प्रेसिडेंट हों या भारत के प्रधान मंत्री या हम -आप सबको 1 दिन में ठीक 86400 सेकंड ही मिलते हैं | न एक सेकंड कम न एक ज्यादा |

आप अपने समय के साथ क्या करते हैं , इसका क्या मोल लगाते हैं, इसका क्या उपयोग करते है,  ये आप पर निर्भर है। चाहे इसे 1 दर्जन संतरे के भाव बेच लो, चाहे इसे 2 बोरी आलू के भाव बेच लो, या इसे अनमोल बना लो ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे देखते किस नज़र से हैं | इसकी कीमत  सिर्फ हमारी सोच पर depend  करती है | हम चाहे इसको फ़ालतू बैठ के waste कर दें या इससे मैक्सिमम output ले लें, ये हम पे depend करता है |

अगर समय की value , उसकी कीमत जाननी है तो 1 साल का मूल्य उस लड़के से पूछें जो कॉलेज के एग्जाम में फ़ैल हो गया  है, 1 महीने का मूल्य उस महिला से पूछें जिसने समय से पहले बच्चे को जन्म दे दिया, 1 सप्ताह का मूल्य साप्ताहिक पत्रिका के संपादक से पूछिए, 1 मिनट के मूल्य की कीमत उस व्यक्ति से पूछें जिसकी विदेश जाने की फ्लाइट छूट गयी, 1 सेकंड का मूल्य उस व्यक्ति से पूछें जो अभी अभी दुर्घटना से बचा है, 1 मिलि सेकंड का मूल्य उस बड़े खिलाड़ी से पूछें जो ओलंपिक में दूसरे नम्बर पर ही रह गया |

गुजरा वक़्त, गुजरा समय , गुजरे दिन वापस नहीं आते | ज़िंदगी के सफ़र में जो मुकाम गुज़र जाते हैं वो फिर नहीं आते | हम ठीक से देख भी नहीं पाते हैं और परदे से मंज़र बदल जाता है , हमारी ज़िंदगी की कंडीशनस बदल जाती है , हमारे चारों ओर की दुनिया बदल जाती है | बाद में हम चाहे कितना भी पछता लें गुजरा वक़्त , गुजरे दिन , गुज़री कंडीशनस , गुज़री oportunity दुबारा नहीं मिलती | आदमी बाद में सिर्फ ये ही सोचता रहता है कि कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन | बीते हुए दिन मेरे वो प्यारे पलछिन |

हमारा आपका समय सीमित है, limited है, इसका maximum यूटिलाइजेशन किया जाना चाहिए |  इसे किसी और के कहे अनुसार या उनके हिसाब से जीने में बर्बाद न करें। अपनी ज़िंदगी की चाबी खुद के पास ही रखिये , किसी और की जेब में नहीं |

दो ज़रूरी इम्पोर्टेन्ट NEWS हैं एक अच्छी और एक बुरी हैं। बुरी खबर ये है कि टाइम उडता है और अच्छी खबर ये यह है कि आप इसके पायलट हैं। आप इसकी दिशा का तय कर सकते हैं , इसका कैसे उपयोग करना है ये तय कर सकते हैं । अपने हिसाब से इसका Management कर सकते हैं | 

अगर आपसे ये कहा जाए कि रोज़ आपके बैंक खाते में 86400 रूपये डाले जायेंगे शर्त ये है कि आपको वो रूपये उसी दिन निकाल कर खर्च करने होंगे वरना बाकी बचे रूपये ज़ब्त हो जायेंगे और अगले दिन फिर नए 86400 रूपये मिलेंगे | तो हम सभी ये रूपये रोज़ निकाल कर उपयोग करेंगे पर बैंक में ज़ब्त होने के लिए नहीं छोड़ेंगे | इसी तरह नेचर रोज़ 86400 सेकेंड हमारी  ज़िंदगी  के खाते में जमा करती है | अगले दिन हमको नए 86400 सेकेंड मिलते हैं, लेकिन पुराने सेकेंड गायब हो  जाते हैं। जब रूपये की बात आती है तो हम उन्हें waste नहीं होने देंगे, ज़ब्त नहीं होने देंगे , उसका कोई तो उपयोग केर लेंगे | तो फिर  हम हमारा टाइम कैसे waste कर सकते हैं , जबकि ये तो अनमोल है |

आपको 1 दिन में 24 घंटे, 1440 मिनट मतलब 86400 सेकंड मिलते हैं | इनका  आप कैसे use करते हैं, कहां लगाते है , कैसे invest करते हैं वो ही तय करेगा कि आप अपनी ज़िंदगी खुशहाल और भरपूर जियेंगे या अभावों और परेशानी में |

टाइम Management करने का मतलब ये है कि हम ये तय करेंगे कि हमारी Life को हम कैसे मैनेज करेंगे | ये एक तरह से Life Management  ही है | टाइम Management की हेल्प से हम ये decision लेते हैं कि हमारी प्रायोरिटी क्या होंगी , हमारी प्राथमिकताये क्या होंगी जिससे  हम सही समय पर सही काम करें और  हम टाइम को इस तरह मैनेज करें , प्लान करें , utilize करें  कि आज जो  काम हम करें उसका फल हमें लम्बे समय तक मिलता रहे | प्रायोरिटी तय करने का मतलब ये है कि हम ये decide करेंगे कि कोनसा काम हम पहले करेंगे जिससे हमें कम से कम मेहनत में maximum आउटपुट मिले, एक सा काम बार बार रिपीट ना करना  पड़े , गैर ज़रूरी काम अवॉयड कर सके और आज किये गए काम से फ्यूचर का समय बचाएं जिसे हम बाद में कही और लगा सकें  |

हम सब समय की importance  अच्छी तरह समझते हैं पर practically देखा जाये तो इसी का हम सबसे ज्यादा दुरूपयोग भी करते हैं |

सिर्फ Busy रहना काफी नहीं ज़रूरी ये जानना है कि आप किस काम में Busy हैं | या तो आप समय को मैनेज करिए वर्ना ये आपको मैनेज करेगा | एक होशियार आदमी और बेवकूफ में  प्रमुख अंतर ये है कि  होशियार आदमी काम तुरंत पूरा करता है और बेवकूफ आखिर में लास्ट में , दोनों काम तो एक सा ही करते है पर अलग अलग समय, यही अंतर जीत और हार तय करता है |

हम में से ज्यादातर लोग इम्पोर्टेन्ट की जगह अर्जेंट काम करने में अपना समय लगाते हैं | जबकि अर्जेंट काम का असर Impact कम समय के लिए होता है और इम्पोर्टेन्ट का असर लम्बे समय लॉन्ग टर्म तक रहता है |

हमारी प्रयोरिटीज़ तय ना कर पाने और टाल मटोल Procrastination की आदत के कारण साधारण सा काम भी urgency का रूप ले लेता है |

यदि हम समय का सही उपयोग करना चाहते हैं तो केवल वर्तमान आज ही हमारे हाथ में है। यदि आज हमने वक्त का सही तरह से उपयोग किया , सही Priorities तय करी तो हमारा Future सुनहरा ही होगा।

यदि समय एक बार निकल जाता है, तो फिर उसे कोई नहीं पकड़ सकता। उसे वापस लाना, रोकना , खरीदना , जमा करना असंभव है।

जिन्हें आगे बढ़ने की इच्छा है, उन्हें समय के साथ-साथ कदम मिलाकर ही आगे बढ़ना पड़ेगा | सही समय पर सही काम करना होगा|

आज हमारे पास पहले से कहीं अधिक टिप्स ,  टेक्नोलॉजी , कैलेंडर्स और चेकलिस्ट हैं पर फिर भी हम समय से पीछे ही रहते हैं |   हम पहले के Comparision लंबे समय तक काम करते हैं, ज्यादा मेहनत करते हैं, टाइम Management  के बारे में काफी कुछ जानते भी हैं पर फिर भी इस भाग दौड़ की ज़िंदगी में समय की कमी महसूस करते हैं, तनाव में रहते हैं | इसका main Reason यह है कि टाइम Management के बारे में जो कुछ भी हम जानते हैं वह अधूरा है , ना काफी है |

समय तो लगातार चलता ही रहता है , हम इसे पसंद करें या ना करें | इस पर किसी का जोर नहीं चलता | टाइम Management असल में है Life Management  सेल्फ Management | अगर हमने टाइम Management सीख लिया तो मान लीजिये कि हमने सेल्फ Management करना सीख लिया |

टाइम Management में हम अपनी priority तय करते हैं कि कौनसा काम पहले किया जाए और क्यों , इसके बाद  कौनसा काम लिया जाए एंड सो on…… और इसमें हम ये भी तय करते हैं कि कौन कौन से काम ऐसे हैं जिन्हें अवॉयड किया जा सकता है, बाद में किया जा सकता है या किसी और से कराया जा सकता है |

स्टीवन कोवी ने 80 के Decade में टू डायमेंशनल मैट्रिक्स के बारे में सोचा | इसमें X Axis पर Urgency और Y Axis पर इम्पोर्टेंस था |  इसमें कोई भी टास्क आने पर Urgency और इम्पोर्टेंस के हिसाब से उसका स्कोर निकालते थे |

Urgency का मतलब, उस काम की कितनी तुरंत ज़रुरत है  और इम्पोर्टेंस का मतलब उस काम का कितना महत्व है |

हम फर्स्ट Priority उस काम टास्क को देते हैं जिसकी urgency और इम्पोर्टेंस दोनों ज्यादा हो | इसे हमने हरे रंग के स्क्वायर में दिखाया है |

सेकंड Priority उस काम टास्क को देते हैं जिसकी इम्पोर्टेंस ज्यादा हो और  urgency कम हो | इसे आसमानी रंग के स्क्वायर में दिखाया है |

थर्ड Priority उस काम टास्क को देते हैं जिसकी urgency ज्यादा हो पर  इम्पोर्टेंस कम हो | इसे पीले रंग के स्क्वायर में दिखाया है |

लास्ट Priority उस काम टास्क को देते हैं , उस काम को सबसे बाद में करते हैंजिसकी urgency और इम्पोर्टेंस दोनों ही कम हो | इसे लाल रंग के स्क्वायर में दिखाया है |

टास्क करने की Priority तय करने का ये तरीका लम्बे समय से चला आ रहा है | इसमें Priority तय करने पर हमारी TO DO लिस्ट के आईटम नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे शिफ्ट होते हैं | TO DO लिस्ट हमारी वो लिस्ट होती है जिसमे हम ये लिखते हैं कि हमें कौन कौन से काम करने है |

स्टीवन कोवी की टू डायमेंशनल मैट्रिक्स से हम priority ऊपर या नीचे ही कर सकते हैं पर ये एक्स्ट्रा time पैदा नहीं कर सकता |

हम पुराने टाइम Management के नियमों से आज के टाइम Management की Problems को हल नहीं कर सकते हैं | इसके लिए नए विचार की ज़रुरत है |

Rory Vaden ने हाल ही एक नया विचार दिया जिसमे उन्होंने बताया है कि कैसे हम टाइम को Multiply करके future के लिए समय Generate कर सकते हैं | ये थ्री डायमेंशनल थ्योरी पर आधारित है |

इनकी थ्योरी में Significance नाम का थर्ड डायमेंशन जोड़ा गया है |

Significance का मतलब इस  काम का असर कितने लम्बे समय तक रहेगा |

अभी तक हम अपनी TO DO लिस्ट के आईटम में Significance के बारे में नहीं सोचते थे | Multipliers ने अब टाइम Management के नियमों में थर्ड डायमेंशन जोड़ दिया है | वो ये सोचते है कि मैं आज क्या करूँ , अपने आप को किस बात की इमोशनल परमिशन दूं  कि मेरे future में मुझे आज किये गए काम का फायदा मिले और आज किये काम से future में मेरा समय बचे | ये एक तरह से समय को multiply करके future में खुद के लिए समय उपलब्ध कराना है|

अपनी ज़िंदगी के incharge हम खुद हैं , ये हमारा अधिकार है कि हम कैसे अपने time को Manage करें |

जैसे ही हमारे पास कोई Task या काम आये उसे अपने दिमाग में Task फिल्टर से गुजारें | सबसे पहले हमें ये चैक करना होगा कि क्या ये Task या काम किया भी जाना चाहिए या नहीं | क्या इस Task को eliminate किया जा सकता है ? क्यूंकी कई बार हम किसी काम के लिए हाँ कर देते हैं और पाते हैं कि इस हाँ के कारण हमारे और ज़रूरी काम नहीं हो पाते | जब हम किसी एक काम के लिए हाँ करते हैं तो उसी समय automatically बहुत सारी चीजों को अनजाने में ना कर रहे होते हैं, क्युकि हमारे पास बाकी tasks के  लिए समय ही नहीं बचता | सबसे बड़ी चीज़ है ना करना सीखना  | मना करना सीखिए और आप का बहुत सारा समय सेव हो जाएगा |

कुछ टास्क जो हमें eliminate कर देने चाहिये है जैसे  फालतू घंटो टीवी देखना, गप्पें लगाना, दूसरों का काम खुद कर देना, फ़ालतू लोगो का साथ, फ़ालतू की meetings |

अगर हम ये पाए कि Task eliminate नहीं किया जा सकता है तो ये चैक करें कि क्या इस Task को Automate किया जा सकता है ? क्या ऐसा arrangement हो सकता है कि , किसी  कंप्यूटर ,  मशीन या इक्विपमेंट कि मदद से ये काम ऑटोमेटिकली हो जाए |

कुछ टास्क जो हम Automate कर सकते हैं जैसे आटोमेटिक on लाइन बिल पेमेंट , e-मेल ऑटो रिप्लाई , answering मशीन , इन्टरनेट बैंकिंग , office या खुद की website में FAQ |

अगर हम ये पाए कि ये Task Automate नहीं किया जा सकता है तो ये चैक करें कि क्या इस Task को Delegate किया जा सकता है ? क्या मेरी जगह कोई और ये काम केर सकता है | क्या मैं इस काम को किसी और को सिखा सकता हूं जो हर बार ये काम मेरी जगह कर दे | डेलीगेशन करके हम अपना बहुत सारा समय बचा सकते है | शुरू में हो सकता है कि जिसे हम काम डेलिगेट करे वो इतना अच्छे से काम न कर पाए पर उसे ये काम करना सिखाने पर जल्दी ही वो भी ये काम सीख जाएगा | इससे हमारे पास Future में टाइम की बहुत Saving होगी | ये एक तरह से समय को multiply करके future में खुद के लिए समय उपलब्ध कराना है|

कुछ टास्क जो हम Delegate कर सकते हैं जैसे वो सभी काम जिनमे आपको खुद ही decision लेना हो उनके अलावा सारे काम, Security , office जनरल work , driving , आउटसोर्सिंग ,  हाउस होल्ड works और ऐसे छोटे मोटे हज़ारों काम | ये काम करने के लिए हमें चोटी सी कीमत अदा करनी होगी और ये काम कोई और हमें करके दे देगा |

ये सब करने पर हम वो काम करने के लिए समय निकाल पाएंगे जो सिर्फ हम ही कर सकते हैं या जो काम हमें खुद ही करने चाहिए |

अगर हम ये पाए कि ये Task Delegate भी  नहीं किया जा सकता है और  ये काम हमें ही करना है तो ये चैक करें कि क्या इस Task को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है  या इसे करना है | Task को टालने का काम हम टाल मटोल की आदत के कारण नहीं बल्कि सोची समझी रण नीती के कारण करना चाहते हैं | Task टाला जा सके तो फिर इसे  Task फिल्टर से गुज़ारे |

और Task टाला नहीं जा सकता तो उस Task को आपकी TO DO लिस्ट में जोड़ दें | TO DO लिस्ट में आपकी Priority में जहां भी वो Task फिट हो उस समय उस Task को करें |

जो भी Task आपको अभी करनी है उसे फ़ौरन शुरू करें और अपना 100 प्रतिशत देकर काम पूरा करें |

टास्क पूरी करते समय किसी भी तरह का distraction या व्यवधान ना आने दें |

टाइम Management की कुछ ज़रूरी टिप्स भी जानना ज़रूरी है जो आपके समय को अच्छी तरह से मैनेज करने में आपकी मदद करेंगी और आपके समय की wastage को भी ख़तम करेंगी और हम अपने समय का optimum use कर पायेंगे | इन टिप्स को अपनाने पर आप बेहतर टाइम Management कर पाएंगे |